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Thursday, February 7, 2013

मस्तिष्क की दुर्वलता व धातु कमजोरी में घी बादाम योग

मस्तिष्क की दुर्वलता व धातु कमजोरी में घी  बादाम योग

यह फार्मूला न केवल मस्तिष्क को ही पुष्ट करता है वरन यह धातु की कमजोरी को भी दूर करता है इसलिए जिन लोंगों के वीर्य में स्पर्मकाउंट कम हैं वे भी इस योग से भरपूर फायदा ले सकते है।
धातु दोर्बल्य या धातु की कमजोरी ऐसा रोग है जो अनेकों रोगों का कारण भी बन जाता है जैसा कि आप भी जानते होगें कि विना बल के शरीर रोगों का घर बन जाता है अतः धातु की कमजोरी को दूर करने का एक बहतरीन योग आपको उपलब्ध करा रहा हूँ
यह फार्मूला न केवल मस्तिष्क को ही पुष्ट करता है वरन यह धातु की कमजोरी को भी दूर करता है इसलिए जिन लोंगों के वीर्य में स्पर्मकाउंट कम हैं वे भी इस योग से भरपूर फायदा ले सकते है।
आज की पोस्ट से निम्न प्रश्नों के सटीक उत्तर मिल जाऐंगे।
धातु पुष्ट की दवा क्या है
दुर्बलता का आयुर्वेदिक उपचार
पुराने से पुराना धातु रोग का इलाज
दुर्बलता के लिए आयुर्वेदिक घरेलू समाधान
धातु का पतलापन की घरेलू औषधि
सप्त धातु पुष्ट करने का सबसे अच्छा फार्मूला
 
पढ़े व फायदा उठावे वैसे भी इस समय सर्दियों का मौसम है तो इस समय अगर आप योग प्रयोग करेंगे।
 तो ज्यादा फायदा होगा तो लिखो भईया योग बनाने की सामिग्री ----

  1. बादाम की मींग 50 नग 
  2. चिरोंजी 10 ग्राम
  3. गोला की गिरी 10 ग्राम
  4. खरबूजे की मींग 10 ग्राम
  5. पिश्ता 10 ग्राम
  6. छोटी इलायची 10 ग्राम
  7. दालचीनी 10 ग्राम
  8. शतावर 15 ग्राम
  9. असगंध 15 ग्राम
  10. तालमखाना 15 ग्राम
  11. केशर 01 ग्राम
  12. गाय का घी 500 ग्राम
मस्तिष्क व धातु की दुर्वलता दूर करने का आयुर्वेदिक नुस्खा
बनाने की विधि ---
अब सारे मेवाओं व दवाओं को अलग अलग लेकर  खूब बारीक बारीक खरल कर लें फिर घी को धीमी आग पर चढ़ा दे । जब लालिमा सी आ जावे तो मेवाऐं व दवाए  डालकर पका लें। नीचे उतार कर इसमें बारीक पीस कर केशर व ज्यादा व जल्दी फायदे के लिए वंग भस्म 5 ग्राम डाल लें और छान कर  रख लेंवें।
मात्रा व सेवन विधि ----  5 से 10 ग्राम लेकर इस घी को मिश्री युक्त दूध से लेकर रात्रि शयन करते समय प्रयोग करें ।यह योग सभी प्रकार के यौन दोर्बल्य धातु क्षरण, आदि में शीघ्र लाभ कारी है तथा स्तम्भन शक्ति प्रदान करने बाला योग भी है।
यह फार्मूला ध्वजभंग या इरेक्सन की प्रोव्लम वाले रोगियों को भी बहुत फायदेमंद है।
जिन युवकों या काम सेवन के इच्छुक पुरुषों के लिंगोंत्थान में प्रोब्लम रहती है वे लिंग के अनुत्थान की अवस्था में ही लिंग पर 5-10 बूँद की मात्रा में इस घी की मलें तो कुछ समय में ही लिंगोंत्थान की समस्या या ध्वजभंग की समस्य़ा दूर हो जाती है। यह एक तरफ तो हमारे ब्रेन के लिए विटामिन है वहीं दूसरी ओर हमारे शरीर का पोषण भी करता है कहने का तात्पर्य यह है कि हमारे सम्पूर्ण शरीर का पोषण करता है। इसका सबसे वढ़िया प्रयोग है मस्तिष्क की दुर्वलता में जब यह औषधि नही महाऔषधि का कार्य करता है। 

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