आधुनिक सभ्यता की देन डाईविटीज या मधुमेह ने आजकल लगभग 20 प्रतिशत से अधिक समाज को अपना ग्रास बना डाला है।यह रोग आजकल की दौड.धूप तथा मानसिक काम की अधिकता से उत्पन्न तनाव,अनियमित आहार विहार के कारण से तथा शारीरिक श्रम की कमी के कारण से पैदा होता है।वैसे एक कारण यह भी है कि हम लोग जितना खाते हैं उतने से प्राप्त ऊर्जा का अगर उपयोग न करें तो यह अतिरिक्त ऊर्जा शरीर से निकलने का प्रयास मूत्र के साथ बाहर निकलकर या रक्त में शर्करा की मात्रा की अधिकता के रुप में प्रकट होती है।इसे ही हम मधुमेह अर्थात मधु या शर्करा का मेह या बहना कहते हैं।इसके अन्य कारणों में कुछ अज्ञात कारण भी हैं जिनके बारे में अभी कोई जानकारी ही नही मिल पायी है।इसके अन्य कारणों में से एक प्रमुख कारण वंशानुगत भी है। ज्यादा जानने के लिए यह लिंक दवाए।The Light OF Ayurveda
एक स्वस्थ व्यक्ति में रक्त में शर्करा की मात्रा कम से कम 70 तथा अधिकतम 110 होनी ही चाहिये नही तो वह व्यक्ति अस्वस्थ है। अगर रक्त में शर्करा की मात्रा इससे ज्यादा है तो यह मूत्र मार्ग से बाहर निकलेगी ही अतः रोगी के मूत्र में भी शर्करा पायी जाती है जिसे मधुमेह कहा जाता है।
अब मैं आप लोगों को एक ऐसा योग मधुमेह दमन चूर्ण का प्रयोग बता रहा हूँ।जो रोग को नियंत्रित भी रखता है।
औषधि द्रव्य- नीम के सूखे पत्ते 20 ग्राम,गुड़मार बूटी 80 ग्राम, बिनोले जो पशुओं को खिलाए जाते हैं उसमे अच्छी किस्म के लेकर उनकी मींगी 40 ग्राम, बेल के सूखे पत्ते 60 ग्राम व जामुन की गुठली की मींग 40 ग्राम
एक स्वस्थ व्यक्ति में रक्त में शर्करा की मात्रा कम से कम 70 तथा अधिकतम 110 होनी ही चाहिये नही तो वह व्यक्ति अस्वस्थ है। अगर रक्त में शर्करा की मात्रा इससे ज्यादा है तो यह मूत्र मार्ग से बाहर निकलेगी ही अतः रोगी के मूत्र में भी शर्करा पायी जाती है जिसे मधुमेह कहा जाता है।
अब मैं आप लोगों को एक ऐसा योग मधुमेह दमन चूर्ण का प्रयोग बता रहा हूँ।जो रोग को नियंत्रित भी रखता है।
औषधि द्रव्य- नीम के सूखे पत्ते 20 ग्राम,गुड़मार बूटी 80 ग्राम, बिनोले जो पशुओं को खिलाए जाते हैं उसमे अच्छी किस्म के लेकर उनकी मींगी 40 ग्राम, बेल के सूखे पत्ते 60 ग्राम व जामुन की गुठली की मींग 40 ग्राम
औषधि निर्माण-सभी औषधियों को अलग अलग वारीक कूट कर अगर मात्रा नापी जाए तो औषधि अच्छी बनेगी वैसे आप एक जगह मिला कर भी कूट सकते हैं लैकिन बारीक जितनी ज्यादा कर लेंगे उतनी ही गुण कारी औषधि का निर्माण होगा।इस मिश्रण को बारीक कपड़े से छान लें तथा शीशी में भर लें औषधि तैयार है।
सेवन विधि व औषधि मात्रा- यह चूर्ण सादा पानी व 1 गोली वसन्तकुसमाकर रस के साथ प्रतिदिन सुवह व शाम को आधा-2 चम्मच लें ।
यह औषधि अपने आप में बहुत गुणकारी है ।यह मूत्र व रक्त में शर्करा का नियंत्रण करती है।इसके सेवन से यकृत व अग्न्याशय के विकार भी नष्ट हो जाते हैं । इसका सेवन कर तथा अपने आचार विचार व दिन चर्या को ठीक कर व्यक्ति शीघ्र ही रोग मुक्त हो सकता है।यह बाजार से भी लाया जा सकता है और यह बाजार में भी इसी नाम से ही मिल जाता है।
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