लवण भास्कर चूर्ण
आयुर्वेद जैसा कि हम जानते है कि जीवन का वेद है और जब यह जीवन का वेद है तो जीवन दायक या कहें कि निरोग रखने के वहुत से योगों का भण्डार भी है।आयुर्वेद हमें यह सिखाता भी है कैसे निरोग रहा जाए तथा यह भी कि अगर रोग हो ही जाए तो दोवारा से निरोग कैसे हुआ जाए वो भी विना किसी साइड इफैक्ट के सो आज हम ऐसे ही एक योग का वर्णन कर रहै है जिसका नाम है लवण भास्कर चूर्ण
यह खाना पीना पचाने का एक जायके दार योग है।यह एक निरापद योग है जो 1 से 3 ग्राम की मात्रा में लेने पर उदर संबंधी रोगों को अपने से दूर रखा जा सकता है।यह योग वैसे मढ्ढे के साथ सर्वोत्तम लाभ प्रदान करता है किन्तु काँजी,दही का पानी या सामान्य गर्म जल के साथ भी लिया जा सकता है व इसके लाभ प्राप्त किये जा सकते हैं।रात को सोने से पहले गर्म पानी से लिया हुआ चूर्ण सुबह को साफ व खुलकर शौच लाता है और कब्ज से राहत प्रदान करता है।यदि इस चूर्ण को बराबर मात्रा में पंचसकार चूर्ण के साथ लिया जाए तो सुबह को खुलकर 2-3 दस्त हो जाते है और पेट विल्कुल साफ हो जाता है।
वैसे तो यह चूर्ण विभिन्न कम्पनियाँ बनाती हैं।लैकिन उत्तमता की गारंण्टी रहै इस लिए आप चाहैं तो स्वयं भी बनाकर लाभ ले सकते हैं।
चूर्ण के लिए जरुरी उपयोगी द्रव्य आप किसी पंसारी या ग्रोसर से ले सकते हैं।
घटक द्रव्य ः-सेंधानमक,विडनमक,पीपल,पिपलामूल,तेजपात, काला जीरा,तालीस पत्र,नागकेशर,और अम्लवेत सभी द्रव्य 24-24 ग्राम
सौचल नमक-60ग्राम
जीरा,काली मिर्च,सोंठ-12-12 ग्राम
समुद्री नमक- 96 ग्राम
अनार दाना -48 ग्राम
बड़ी इलायची,दाल चीनी-6-6 ग्राम
सभी वस्तुऔं का कपड़ छन चूर्ण तैयार करके फिर नीबू का रस लेकर उसमें सारे चूर्ण को मिला कर सीरक या छाया मे सुखा लें इसे आयुर्वेदिक भाषा में भावना देना कहते हैं।
ये तैयार हो गया लवण भास्कर चूर्ण
वैसे तो उपयोग पहले भी लिख दिये हैं लैकिन इस योग के प्रयोग से पेट की वायु,डकार आना तथा भूख न लगना आदि रोगों का शमन बड़ी ही आसानी से हो जाता है।
आयुर्वेद जैसा कि हम जानते है कि जीवन का वेद है और जब यह जीवन का वेद है तो जीवन दायक या कहें कि निरोग रखने के वहुत से योगों का भण्डार भी है।आयुर्वेद हमें यह सिखाता भी है कैसे निरोग रहा जाए तथा यह भी कि अगर रोग हो ही जाए तो दोवारा से निरोग कैसे हुआ जाए वो भी विना किसी साइड इफैक्ट के सो आज हम ऐसे ही एक योग का वर्णन कर रहै है जिसका नाम है लवण भास्कर चूर्ण
यह खाना पीना पचाने का एक जायके दार योग है।यह एक निरापद योग है जो 1 से 3 ग्राम की मात्रा में लेने पर उदर संबंधी रोगों को अपने से दूर रखा जा सकता है।यह योग वैसे मढ्ढे के साथ सर्वोत्तम लाभ प्रदान करता है किन्तु काँजी,दही का पानी या सामान्य गर्म जल के साथ भी लिया जा सकता है व इसके लाभ प्राप्त किये जा सकते हैं।रात को सोने से पहले गर्म पानी से लिया हुआ चूर्ण सुबह को साफ व खुलकर शौच लाता है और कब्ज से राहत प्रदान करता है।यदि इस चूर्ण को बराबर मात्रा में पंचसकार चूर्ण के साथ लिया जाए तो सुबह को खुलकर 2-3 दस्त हो जाते है और पेट विल्कुल साफ हो जाता है।
वैसे तो यह चूर्ण विभिन्न कम्पनियाँ बनाती हैं।लैकिन उत्तमता की गारंण्टी रहै इस लिए आप चाहैं तो स्वयं भी बनाकर लाभ ले सकते हैं।
चूर्ण के लिए जरुरी उपयोगी द्रव्य आप किसी पंसारी या ग्रोसर से ले सकते हैं।
घटक द्रव्य ः-सेंधानमक,विडनमक,पीपल,पिपलामूल,तेजपात, काला जीरा,तालीस पत्र,नागकेशर,और अम्लवेत सभी द्रव्य 24-24 ग्राम
सौचल नमक-60ग्राम
जीरा,काली मिर्च,सोंठ-12-12 ग्राम
समुद्री नमक- 96 ग्राम
अनार दाना -48 ग्राम
बड़ी इलायची,दाल चीनी-6-6 ग्राम
सभी वस्तुऔं का कपड़ छन चूर्ण तैयार करके फिर नीबू का रस लेकर उसमें सारे चूर्ण को मिला कर सीरक या छाया मे सुखा लें इसे आयुर्वेदिक भाषा में भावना देना कहते हैं।
ये तैयार हो गया लवण भास्कर चूर्ण
वैसे तो उपयोग पहले भी लिख दिये हैं लैकिन इस योग के प्रयोग से पेट की वायु,डकार आना तथा भूख न लगना आदि रोगों का शमन बड़ी ही आसानी से हो जाता है।
Mujhe hamesa dast ho jaata hai jo bhi khata hu pachta nahi karein me bahut der baitha padta hai fir bhi saaf nahi hota kamar me dard bhi hamesa rahta hai 1 saal me mera 12 kg wajan ghat chuka hai kaafi kamjor bhi ho gaya hu doctor ise ibs batate hai bahut upaay karaya par jyada din thik nahi rah paaya fariste khaana mujhe bahut taklif deta hai ..lawan bhaskar churn mere liye sahi hai ya nahi ..jarur bataye
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