सर्दी के समय में खाँसी एक आम रोग के रुप में पैदा हो जाता है।इससे छोटे -2 बच्चे टीन एजर व प्रोण व वृद्ध सभी दुःखी रहते हैं।तो आज में इसी रोग को समाप्त करने के लिए एक पानक या पेय को बनाने की विधि बता रहै हैं जिससे आपका रोग समाप्त हो सके।यह एक बार बना कर रखा जा सकता है।
सामिग्री व निर्माण विधि- भटकटैया का पंचाग 500 ग्राम,काकड़ासिंगी 180 ग्राम,मुलहठी 25 ग्रा,अड़ूसा के पत्ते 10 ग्राम,पीपल 5 ग्राम,और मिश्री 1किलो 500ग्राम, सभी जौकुट करके मिश्री से अलग 1 लीटर पानी के साथ काड़ा बना लें।जब चौथाई शेष रह जाए तब उतारे और ठण्डा होने पर छान लें।अब इस छने हुये क्वाथ में मिश्री मिलाकर पकाऐं,जब दो तार की चासनी तैयार हो जाए तब मामूली सी पिपरमेंट पीसकर डाल दें।बस सीरप तैयार हो गया।
मात्रा-यह चम्मच यह शर्बत दिन में 3-4 बार तक दे सकते हैं।इससे सब प्रकार की खाँसी में आराम मिलता है।सूखी खाँसी में कफ निकलकर बैचेनी दूर होकर राहत मिल जाती है।पुरानी खाँसी,क्षयजन्य खाँसी,कच्चा कफ निकलना,गला खराव होना,आवाज बैठना,गले में खरास आदि में यह सीरप बहुत ही हितकर है।इससे वुखार में भी आराम मिलता है।
सामिग्री व निर्माण विधि- भटकटैया का पंचाग 500 ग्राम,काकड़ासिंगी 180 ग्राम,मुलहठी 25 ग्रा,अड़ूसा के पत्ते 10 ग्राम,पीपल 5 ग्राम,और मिश्री 1किलो 500ग्राम, सभी जौकुट करके मिश्री से अलग 1 लीटर पानी के साथ काड़ा बना लें।जब चौथाई शेष रह जाए तब उतारे और ठण्डा होने पर छान लें।अब इस छने हुये क्वाथ में मिश्री मिलाकर पकाऐं,जब दो तार की चासनी तैयार हो जाए तब मामूली सी पिपरमेंट पीसकर डाल दें।बस सीरप तैयार हो गया।
मात्रा-यह चम्मच यह शर्बत दिन में 3-4 बार तक दे सकते हैं।इससे सब प्रकार की खाँसी में आराम मिलता है।सूखी खाँसी में कफ निकलकर बैचेनी दूर होकर राहत मिल जाती है।पुरानी खाँसी,क्षयजन्य खाँसी,कच्चा कफ निकलना,गला खराव होना,आवाज बैठना,गले में खरास आदि में यह सीरप बहुत ही हितकर है।इससे वुखार में भी आराम मिलता है।
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