हमारे अंगों की बनाबट जैसे फल सब्जियाँ या बीज रखते हैं अपने जैसे अंगों को दुरुस्त
परमपिता परमात्मा ने प्रकृति को इतना अजीवोगरीब वनाया है कि उसके कार्यों को समझना असम्भव नही तो कठिन अवस्य है। मनुष्य फिर भी अनेकों पहेलियों को आज तक सुलझाता आया है। भगवान ने हमें अनजाने में ही बहुत सी नेमते बख्सी हैं जिन्हैं हम अगर समझ जाऐं और उनका प्रयोग करें तो अनेकों रोगों से बचे ही नही रह सकते अपितु हमारे अगों को वे पोषण भी प्रदान करते हैं। ऐसी ही प्रभु की नेमत है अनेकों फल जिनका आकार हमारे अंगों जैसा होता है और वे फल, सब्जियाँ या बीज उन्हीं अगों पर अपना अत्यन्त प्रभाव दिखाते हैं। बस जरुरत है कि हम प्रभु के इस करिश्में को समझें।इसे भी पढ़े-- शीघ्रपतन व इसका आयुर्वेदिक इलाज
अखरोट—
अदरक और मानव मस्तिष्क की संरचना |
प्रभु ने हमें अखरोट के रुप में एक अजीव फल दिया है जो विल्कुल मानव मस्तिष्क के आकार का होता है इसका बाहरी व भीतरी संरचना बिल्कुल मानव मस्तिष्क के जैसी होती है और तो और आपको जानकर आश्चर्य होगा कि इसका सर्वाधिक प्रभाव मानव मस्तिष्क पर पड़ता है। और इसी कारण इसे ब्रेन फूड भी कहा जाता है. इसमें दिमाग को की शक्ति को बढ़ाने के लिए कई स्वास्थ वर्धक पदार्थ होते हैं जो दिमाग को तेज बनाते हैं। यह हमारे दिमाग को तेज करता है।
गाजर -
गाजर की आन्तरिक संरचना और मानव आँख की संरचना समान |
गाजर को काटकर देखने पर मालुम होगा कि यह तो बिल्कुल आंखों के बीच के गोल हिस्से की तरह दिखता है। और इसके गुणों की बात करें तो गाजर खाने से आंखों की रोशनी ठीक रहती है। इसमें विटामिन और बीटा केरोटीन जैसे एंटी ऑक्सीडेंट पाए जाते हैं, जो आंखों की रोशनी को खराब होने से बचाते हैं।
स्तन कैंसर से क्यों बचाता है संतरा
संतरा--
संतरा की आंतरक संरचना व स्त्री स्तन पढ़े--- अगर बेमिसाल सौन्दर्य चाहती है तो करें यह प्रयोग |
संतरे को अगर हम बीच से काटे तो देखते हैं कि जो आकृति उभरती है वह स्तन के मैमोग्राम से मिलती जुलती है। संतरे एवं साइट्रिक एसिड वाले इसी आकार के अन्य फलों में पाया जाने वाला लिमोनॉयड्स कैंसर का असर कम कर देता है या कहैं कि यह कैंसर रोधी तत्व है जो संतरे में पाया जाता है विटामिन सी से समृद्ध संतरे में मौजूद एंटी ऑक्सीडेंट और लाइमोनिन गुण मुक्त कणों के नुकसान से कोशिकाओं की रक्षा करते हैं। लाइमोनिन हमारे शरीर में लगभग 8-10 घंटे तक सक्रिय रह सकता है, जो कैंसर कोशिकाओं के प्रसार को रोकने में मदद करता है। संतरे के नियमित सेवन से त्वचा, छाती, फेफड़ों, मुंह, पेट आदि के कैंसर को रोकने में मदद करता है। यह गैस्ट्रिक अल्सर के जोखिम को कम करने में भी मददगार है। संतरे में मौजूद पेक्टिन फाइबर हमारी बृहदांत्र में रसायनों का स्रव करके होने वाले कैंसर से श्लेश्म झिल्ली की रक्षा करता है। जब हम ध्यान से देखते हैं कि संतरे की बाहरी संरचना हमारी त्वचा से मेल खाती है उसके बाद आप देखते हैं कि इसकी माँसल संरचना हमारे स्तन की भीतरी संरचना की तरह तथा कुछ कुछ हमारे फैंफड़ो की तरह फाइवर्स भी होती है अतः यह फल हमारे इन्हीं अंगो के इलाज का कारगर उपाय प्रदान करता है।
टमाटर को काटकर देखने पर उसके अंदर भी दिल की तरह चैंबर दिखाई देते हैं। वैज्ञानिक शोधों से साबित हुआ है कि इसमें पाए जाने वाले लाइकोपिन नामक पदार्थ के कारण टमाटर खाने वालों से दिल की बीमारियां दूर रहती हैं। टमाटर में थोड़ा मक्खन, घी या कोई भी फैट मिलाकर खाने से लाइकोपिन का असर दस गुना तक बढ़ जाता है। टमाटर हमारे शरीर में कोलेस्ट्रोल को कम करता है जिससे हम दिल की बिमारियों से बचे रहते है। टमाटर हमारे शरीर की रक्त वाहिनियों में थक्का जमने से रोकता है। हमारी नसों में जमने वाले खून के थक्के से हमारे दिल पर दबाव बढता है जिससे हमें हार्ट अटेक आने का खतरा बना रहता है। टमाटर हमारे शरीर में खून को पतला करता है। खून पतला करने की दवाई की अपेक्षा जो टमाटर का बीज आता है वह हमारे शरीर को ज्यादा फायदा पहुंचाता है।
अदरक के गुणों के कारण लोग इसके कायल हैं लेकिन कई लोग इसके स्वाद के कारण इससे कोसों दूर रहना भी पसंद करते हैं। अगर हम इसके आकार की बात करें तो यह बिल्कुल आमाशय (स्टमक) की तरह दिखता है। अपने देश के लोग तो इसके गुणों से पिछले 5000 वर्षों से परिचित हैं, लेकिन आज तो यूएस ड्रग एडिमिनिस्ट्रेशन (यूएसएफडीए) तक ने इसका लोहा मान लिया है। इसकी सूची में अदरक के तेल को अजीर्ण और उल्टी में इस्तेमाल के लिए रामबाण बताया गया है।
एक बींस का नाम किडनी बींस क्यों है
बींस----
बींस व किडनी |
बींस या सेम और सेम बर्ग के सभी बीजों का आकार आपने देखा होगा सारे को सारों का आकार किडनी की तरह ही होता है और तो और आपको यह जानकर और भी आश्चर्य होगा कि यह बींस किडनी को सेहतमंद रखती हैं। इसी कारण इन्हैं किडनी बींस भी कहा जाने लगा है। इसमें फाइबर, मैग्नीशियम, व पोटेशियम पर्याप्त मात्रा में पाये जाते हैं इनमें फाइवर वह तत्व है जो हमारी पाचन क्रिया को दुरुस्त रखता है जवकि मैंग्नीशियम व पोटेशियम हमारी किडनी को स्टोन आदि समस्याओं से मुक्त रखते हैं।
शकरकंद-
शकरकंद का आकार हमारे शरीर के एक महत्वपूर्ण अंग पैन्क्रियाज से मिलता जुलता है इसमें पाये जाने वाले तत्व ग्लाइसेमिक इंडेक्स को ठीक रखते हैं।
पैंक्रियाज का हमारे शरीर में काफी अहम रोल होता है। इस अंग का आकार शकरकंद से काफी मिलता-जुलता है। शोध से पता चला है कि शकरकंद में पाया जाने वाले तत्व पैंक्रियाज के ग्लाइसेमिक इंडेक्स को ठीक रखते हैं जिससे हमारा पैंक्रियाज सामान्य रूप से काम करता रहता है।
पैंक्रियाज का हमारे शरीर में काफी अहम रोल होता है। इस अंग का आकार शकरकंद से काफी मिलता-जुलता है। शोध से पता चला है कि शकरकंद में पाया जाने वाले तत्व पैंक्रियाज के ग्लाइसेमिक इंडेक्स को ठीक रखते हैं जिससे हमारा पैंक्रियाज सामान्य रूप से काम करता रहता है।
मशरूम-
मसरुम व कान |
मशरूम को बीच से काटकर देखा जाऐ तो यह काटने बिल्कुल हमारे कान की तरह दिखता है। और अगर मसरुम के गुणों को देखा जाऐ तो यह सेवन करने पर कान से ऊंचा सुनने वालों की सुनने की क्षमता में सुधार लाता है। कान के अलावा इसमें काफी मात्रा में विटामिन डी भी पाया जाने के कारण यह हड्डियों के लिए भी बहुत फायदेमंद होता है।
हम अगर ध्यान से देखे तो पता लगेगा कि अंगूर का गुच्छा हमारे फैंफड़ों की आंतरिक संरचना के समान होता है जैसे हमारे फेफड़े के अंदर अंगूर के आकार की कई थैलीनुमा ग्रंथियां होती हैं जो कॉर्बन डाइ ऑक्साइड और ऑक्सीजन के प्रवाह को नियंत्रित करती हैं। इन्हें एल्वियोली कहा जाता है। अंगूर के सेवन से फेफड़े के संक्रमण और एलर्जी से होने वाली अस्थमा जैसी बीमारियों से लड़ने में फायदा मिलता है।
प्याज के फायदे जान हो जाएंगे हैरान
अंगूर--
अस्थमा से क्यों बचाता है अंगूर
अंगूर व फेफड़ो की संरचना |
हम अगर ध्यान से देखे तो पता लगेगा कि अंगूर का गुच्छा हमारे फैंफड़ों की आंतरिक संरचना के समान होता है जैसे हमारे फेफड़े के अंदर अंगूर के आकार की कई थैलीनुमा ग्रंथियां होती हैं जो कॉर्बन डाइ ऑक्साइड और ऑक्सीजन के प्रवाह को नियंत्रित करती हैं। इन्हें एल्वियोली कहा जाता है। अंगूर के सेवन से फेफड़े के संक्रमण और एलर्जी से होने वाली अस्थमा जैसी बीमारियों से लड़ने में फायदा मिलता है।
प्याज के फायदे जान हो जाएंगे हैरान
प्याज---
प्याज व मानव कोशिकाऐं |
हम अगर साइंस के स्टूडेंट रहे होगे तो हमने प्याज की आंतरिक संरचना कभी सूक्ष्मदर्शी के सामने रख कर देखी होगी तो हमे बखूवी पता होगा की इसकी संरचना हमारी कोशिका की संरचना से मेल खाती है यह आकार बिल्कुल इनसान की कोशिकाओं से मिलता है। शोधों से पता चला है कि प्याज में पाए जाने वाले फाइटोकेमिकल कोशिकाओं के अपशिष्ट पदार्थों की सफाई करते हैं और उन्हें स्वस्थ रखते हैं। हम सभी जानते हैं कि ये कोशिकाएं ही जीवन का आधार हैं। कोशिकाओं से ही मिलकर ऊतक (टिश्यू) बनते हैं और कई टिश्यू मिलकर ऑरगन यानी अंग का निर्माण करते हैं।
इसके अलावा अन्य भी कई और भी पौधे हैं जिनके पत्ते, फूल, फल, व अन्य अंग हमारे शरीर के अंगों से मेल खाते हैं और वे उन्हीं अंगों को पोषित व स्वस्थ करते हैं। ऐसे ही कुछ चीजें हैं जैसे
इसके अलावा अन्य भी कई और भी पौधे हैं जिनके पत्ते, फूल, फल, व अन्य अंग हमारे शरीर के अंगों से मेल खाते हैं और वे उन्हीं अंगों को पोषित व स्वस्थ करते हैं। ऐसे ही कुछ चीजें हैं जैसे
सेमल की मूसली-
सेमल की मूसली |
जो कि विल्कुल बनावट में मानव लिंग की संरचना जैसी ही होती है और वास्तव में लिंग संबंधी रोगों यथा कमजोरी, शीघ्रपतन आदि में बहुत लाभकारी है। इसी प्रकार एक फूल होता है
योनिपुष्पा---
योनिपुष्पा |
जिसे उलट कंबंल के नाम से भी जाना जाता है यह आसाम के जंगंलों में पाया जाता है और इसके पुष्पों का आकार बिल्कुल योनि के आकार का होता है और इसके गुण देखिये-
उलटकंबल की जड़ की छाल को 6 ग्राम की मात्रा में एक ग्राम कालीमिर्च के साथ पीस लें। इसका सेवन मासिक-धर्म से एक सप्ताह पहले से और जब तक मासिक-धर्म होता रहता है तब तक पीने से मासिक धर्म-नियमित होता है। इससे बांझपन दूर होता है और गर्भाशय को शक्ति प्राप्त होती है।
अनियमित मासिक-धर्म के साथ ही, गर्भाशय, जांघों और कमर में तेज दर्द हो तो उलटकंबल की जड़ का रस 4 मिलीलीटर निकालकर चीनी के साथ सेवन करने से 2 दिनों में ही लाभ होता है।
उलटकंबल की पच्चास ग्राम सूखी छाल को जौ कूटकर 625 मिलीलीटर पानी में काढ़ा तैयार करें। यह काढ़ा उचित मात्रा में दिन में तीन बार लेने से कुछ ही दिनों में मासिक-धर्म उचित समय पर होने लग जाता है। इसका प्रयोग मासिक-धर्म शुरू होने से एक सप्ताह पहले से मासिक धर्म आरम्भ होने तक देना चाहिए।
उलटकंबल की जड़ की छाल का चूर्ण 4 ग्राम और कालीमिर्च के 7 दाने सुबह-शाम पानी के साथ मासिक-धर्म के समय 7 दिनों तक सेवन करें। दो से चार महीनों तक यह प्रयोग करने से गर्भाशय के सभी दोष मिट जाते हैं। यह प्रदर और बांझपन की सर्वश्रेष्ठ औषधि है। पथ्य : भोजन में केवल दूध और चावल लें तथा ब्रह्मचर्य से रहें।
मासिक-धर्म और गर्भाशय के विकार :
उलटकंबल की जड़ की छाल का रस गर्म कर लें। इस रस को 2 मिलीलीटर की मात्रा में रोजाना देने से हर तरह के कष्ट से होने वाले मासिक-धर्म में राहत मिलती है।उलटकंबल की जड़ की छाल को 6 ग्राम की मात्रा में एक ग्राम कालीमिर्च के साथ पीस लें। इसका सेवन मासिक-धर्म से एक सप्ताह पहले से और जब तक मासिक-धर्म होता रहता है तब तक पीने से मासिक धर्म-नियमित होता है। इससे बांझपन दूर होता है और गर्भाशय को शक्ति प्राप्त होती है।
अनियमित मासिक-धर्म के साथ ही, गर्भाशय, जांघों और कमर में तेज दर्द हो तो उलटकंबल की जड़ का रस 4 मिलीलीटर निकालकर चीनी के साथ सेवन करने से 2 दिनों में ही लाभ होता है।
उलटकंबल की पच्चास ग्राम सूखी छाल को जौ कूटकर 625 मिलीलीटर पानी में काढ़ा तैयार करें। यह काढ़ा उचित मात्रा में दिन में तीन बार लेने से कुछ ही दिनों में मासिक-धर्म उचित समय पर होने लग जाता है। इसका प्रयोग मासिक-धर्म शुरू होने से एक सप्ताह पहले से मासिक धर्म आरम्भ होने तक देना चाहिए।
उलटकंबल की जड़ की छाल का चूर्ण 4 ग्राम और कालीमिर्च के 7 दाने सुबह-शाम पानी के साथ मासिक-धर्म के समय 7 दिनों तक सेवन करें। दो से चार महीनों तक यह प्रयोग करने से गर्भाशय के सभी दोष मिट जाते हैं। यह प्रदर और बांझपन की सर्वश्रेष्ठ औषधि है। पथ्य : भोजन में केवल दूध और चावल लें तथा ब्रह्मचर्य से रहें।
ब्रोंकली---
ब्रोंकली एक गौभी के आकार की सब्जी है इसकी संरचना को देखते ही आप पहिचान सकते हैं कि ब्रोकोली पर अनेकों छोटी हरी टिप्स होती है जो विल्कुल सैकड़ों कैंसर कोशिकाओं की तरह दिखती है।
अब वैज्ञानिकों ने यह पता लगाया है कि यह बीमारी की तरह दिखने वाली सब्जी कैंसर के रोग को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।
पिछले साल, यूएस नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट में शोधकर्ताओं की एक टीम ने पाया कि ब्रोकोली को केवल साप्ताहिक रुप से लेने पर प्रोस्टेट कैंसर के जोखिम को 45 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है।
ब्रिटेन में, प्रोस्टेट कैंसर से हर घंटे लगभग एक आदमी को मर जाता है।
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